Agra:
भय से लेबर का काम छोड़कर जाना प्रारंभ, नई लेबर आ नहीं रहीपाइलिंग का काम करीब 50 फीसदी, पिलर के काम की गति धीमी
कोरोना का बढ़ते प्रकोप ने मेट्रो परियोजना की चाल पर भी ब्रेक लगा दिए हैं। होली के बाद जो लेबर आ भी गई थी, वह भी अपने-अपने घरों को प्रस्थान करने लगी है। लेबर के मन में पिछले साल का खौफ है। गत वर्ष किलोमीटर पैदल चलकर वे अपने घरों पर पहुंच सके थे। हालात गंभीर होते देख इस बार वे किसी रिस्क के मूड में नहीं दिख रहे हैं। इधर महाराष्ट्र में लॉकडाउन के बाद लेबर के मन में ये शंकाएं और अधिक बढ़ गई हैं। इस समय यूपीएमआरसी लेबर की समस्या से जूझ रही है। पहले योजना थी कि होली के बाद लेबर बढ़ाकर कार्य को और अधिक गति दी जाएगी पर वर्तमान समय में योजना को मूर्तरूप देना यूपीएमआरसी के लिए टेड़ी खीर हो गया है।
यूपीएमआरसी के एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना का कहर होली से पहले ही चालू हो गया था। इस कारण जो लेबर होली पर अपने घरों पर गई थी, उसमें से बड़ी संख्या में लेबर वापस नहीं आई। कुछ लेबर आई थी, उससे काम प्रारंभ करा दिया गया था पर अब नये हालातों में तो लेबर किसी भी स्थिति पर आने को तैयार नहीं है। इस समय जितनी लेबर उपलब्ध है, उसी से काम को कराया जा रहा है। कम लेबर की वजह से काम की गति भी धीमी पड़ गई है। गौरतलब है कि आगरा में मेट्रो के तीन एलिवेटेड स्टेशनों और मेट्रो यार्ड का काम चल रहा है। अभी तक लगभग दस पिलर बनकर तैयार हो चुके हैं और 340 पाइलिंग हो चुकी है। यानि पाइलिंग का काम लगभग 50 फीसदी पहुंच चुका है। पिलर और पिलर कैप बनाने के काम को गति दी जानी थी पर लेबर की समस्या के कारण इस काम को गति नहीं मिल पा रही है। अभी तक 30 पाइल कैप ही तैयार हुए हैं, जबकि 196 पाइल कैप और 196 पिलर तैयार होने हैं। अगर काम की गति देखी जाए तो पाइल कैप तैयार करने का काम 20 फीसदी भी पूरा नहीं हो सका है। पिलर बनाने का काम की गति को 10 फीसदी से भी कम है।
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