आखिर क्यों बिगड़ रहा है? जैव विविधता का संरक्षण और पर्यावरण संतुलन
Agra:हमारी धरती जीवन के रंग बिरंगे मनोहर रूपों से रची.बसी है| भाँति.भाँति के पेड़.पौधे और जीव. जन्तुओं ने धरा को जीवन्त और सृष्टि को सुंदर बनाया हुआ है| जैव विविधता के कारण पृथ्वी अनगिनत आश्चर्यों को समेटे हुए रचनात्मक और प्रगतिशील बनी हुई है| जैव विविधता (Biological Diversity) एक ऐसा शब्द है जो विभिन्न जन्तुओं की भिन्नता तथा उनका पारिस्थितिक तंत्र से सम्बन्धों का तुलनात्मक ज्ञान कराता है| जैव विविधता सम्पूर्ण भूमंडल पर समान रूप से वितरित नहीं है| यह अधिकतर उष्ण. कटिबंधीय क्षेत्रों विशेषकर विषुवत रेखा के समीप अधिक और ध्रुवों पर कम पाई जाती है| जैव विविधता शब्द मुख्य रूप से विभिन्न प्राणी जातियों की बाहुल्यता के लिए प्रयोग किया जाता है|
बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं में वृक्षों को काटना एक अपराध है|
असंतुलित विकास ही जैव विविधता का दुश्मन है|
वनों की विशेषता भी जैव विविधता पर ही निर्भर करती है|
जीव.जन्तुओं की 47667 प्रजातियों में से एक तिहाई से अधिक प्रजातियाँ विलुप्त होंने के कगार पर हैं|
प्रदूषण से जमीन के अन्दर रहने वाले केंचुए बैक्टीरिया और शैवाल की संख्या और गुणात्मकता दोनों घट गयी है|
जीव वैज्ञानिकों के अनुसारए जैव विविधता किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले विभिन्न प्राणी समूहों एवं परितंत्र का ऐसा समन्वय है जिससे विभिन्न प्रजातियों के नामकरणए उत्पत्तिए परितंत्र भिन्नता और उनकी विशेषताओं का ज्ञान प्राप्त होता है| सम्पूर्ण पृथ्वी पर चाहे रेगिस्तान हों या महासागरए पर्वत हों या पठारए जीवन सभी जगह अपने अनगिनत सुन्दर रूपों में मुस्करा रहा है| महासागरीय दुनियाँ में पाये जाने वाले असंख्य जीवए जलीय जैव विविधता का अनुपम उदाहरण हैं| प्रकृति ने सभी जीवों को कुछ न कुछ ऐसी विशेषताएं प्रदान की हैं जो उसे अन्य जीवों से विशिष्ट बनाकर पर्यावरण से सामंजस्य बनाते हुए क्रियाशील बनाती है|
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इस पृथ्वी पर ३० लाख से ३ करोड़ प्रजातियाँ मौजूद हैं| इस जीव जगत में अधिक तादाद में सूक्ष्म जीव भी रहते हैं| एक ग्राम मिट्टी में लगभग 10 करोड़ जीवाणु मौजूद होते हैं| अत्यंत सूक्ष्म होंने के बावजूद भी इनका पर्यावरण संतुलन में विशेष योगदान है| ये सूक्ष्म जीव अपशिष्ट पदार्थों को सरल पदार्थों में तोड़कर भूमि को उर्वरा बनाते हुए धरा को अपशिष्ट पदार्थों से मुक्त रखते हैं| यदि ये सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाएँ तो कूड़े.कचरे के ढेर के कारणए पृथ्वी पर जीवन की सभी संभावनाएं नष्ट हो जायेंगी| कुछ अलग प्रजातियों के सूक्ष्म जीव मिट्टी से पोषक तत्वों की जटिल श्रंखला को तोड़ते हुए उन्हें फसलों तक पहुंचाते हैं और कुछ भूमि से नाइट्रोजन को वातावरण में पहुँचाकर जैवमंडल को सन्तुलित रखते हैं|
सही मायनों में वनों की विशेषता भी जैव विविधता पर ही निर्भर करती है| वनों में उगने वाली छोटी.२ झाड़ियाँ भी वन्य जीवों की शरणगाह होते हैं| वास्तविक रूप में सभी जैव प्रजातियाँ एक दूसरे के साथ जुडी हुई हैं और इन विविध जीवों और वनस्पतियों का नियत अनुपात ही पर्यावरण को शुद्ध और संतुलित रखता है| जिस क्षेत्र में वन्य जीवोंए वनस्पतियों कीटों और मानवों के बीच में संतुलन रहता है वहाँ पर्यावरण संतुलन के लिए कोई अन्य उपाय करने की आवश्यकता ही समाप्त हो जाती है| भारत एक विशिष्ट भू.भाग और जलवायु भिन्नता के कारण जैव विविधता की समृद्धता के लिए एक अनुकूल देश है| विविधता संपन्न हमारे देश में अत्यधिक वर्षा वाले स्थानों से लेकर बहुत कम वर्षा वाले रेगिस्तान भी हैं|
हमारे देश में अत्यन्त ठंडे और बहुत अधिक गर्म स्थानों के साथ.साथ मैदान और समुद्र तटीय क्षेत्र भी हैं| यह सभी विभिन्नताएं जैव विविधता की दृष्टि से भारत को अनुकूल और समृद्ध बनाती हैं| इसी कारण विविधता संपन्न राष्ट्रों में भारत की गिनती विश्व के सबसे अधिक १२ जैव विविधता संपन्न देशों में की जाती है| भारतीय संस्कृति में प्रकृति को सांस्कृतिक विरासत से अलग नहीं किया जा सकता है| भारतीयता की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत प्रकृति के साथ सह.अस्तित्व की भावना से जुडी हुई है| भारतीय संस्कृति में जैव विविधता का संरक्षण आदि काल से ही धर्म के रूप में विद्यमान है| हिन्दू धर्म की हर एक मान्यता और परम्परा में प्रकृति का संरक्षण केन्द्र बिंदु रहा है| भगवान विष्णु के अवतारों में मत्स्य अवतारए कूर्म अवतार वराह अवतार और अन्य धार्मिक नायकों में वानर अवतार हनुमान जीए जामवंतए जटायु आदि| सभी जैव विविधता का ही प्रतिनिधित्व करते हैं| जैन धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में अपरिग्रह भी जीव जगत और पर्यावरण के संरक्षण का सन्देश प्रदान करती है| बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं में वृक्षों को काटना एक अपराध है| राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भी जीवन के विविध रूपों में प्रकृति प्रेम को ही देखते थे| उनका कहना था कि मै केवल मानव जाति के बीच भाईचारे अथवा उसके साथ तादात्म्य की स्थापना नहीं करना चाहूँगाए बल्कि पृथ्वी पर रेंगने वाले जीवों सहित समस्त प्राणीजगत के साथ तादात्म्य स्थापित करना चाहता हूँ| क्योंकि हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैंए इसलिए जीवन जितने रूपों में हैए सब मूलतः
एक ही है| आज मानवीय गतिविधियों के चलते पर्यावरण और जैव विविधता को संकट उत्पन्न हो गया है असंतुलित विकास ही जैव विविधता का दुश्मन है| आज जमीन के प्रदूषण से जमीन के अन्दर रहने वाले केंचुए बैक्टीरिया और शैवाल की संख्या और गुणात्मकता दोनों घट गयी है| आज वैश्विक कल्याण की भावना की बजाय निजहित की सोच ने मानव को प्रकृति का विरोधी बना दिया है| प्राकृतिक संपदा के अंधाधुंध दोहन ने प्राकृतिक परिवेश को बुरी तरह प्रभावित किया है| जिसके कारण जैव विविधता सिमटती जा रही है| मानव जनित बेलगाम प्रदूषण तेजी से पृथ्वी से जीवन का विनाश कर रहा है| आज केवल भारत में ही 450 प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं| 150 से अधिक स्तनधारी और 150 पक्षियों का अस्तित्व खतरे में है| इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर ;प्न्ब्छद्ध की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में जीव.जन्तुओं की 47667 प्रजातियों में से एक तिहाई से अधिक प्रजातियाँ विलुप्त होंने के कगार पर हैं| पर्यावरण के संरक्षण के लिए आवश्यक जैव विविधता के प्रति मानवीय समझ और जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1993 में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस को 29 दिसंबर को मनाने का निर्णय लिया गयाप् किन्तु बाद में व्यवहारिक कारणों से इसे 22 मई को मनाने का निर्णय लिया गया|
22 मई को यह दिन जैव विविधता दिवस की 26वीं वर्षगाँठ को मना रहा है| अतः इस विशेष उत्सव पर हम सबको यह बात भली.भाँति समझ लेनी चाहिए कि प्रकृति के सभी जीवों के विकास का आधार एक दूसरे का रख-रखाव एवं संरक्षण है| वास्तव में जैव विविधता की समृद्धता ही प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित और संरक्षित कर सकती है और पृथ्वी पर जीवन के विविध रूपों में मुस्कराहट बिखेर सकती है|
डॉ नितिन मिश्र (Mo) – 9412812535
( फिरोजाबाद ) उ०प्र०
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