प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैर-रणनीतिक सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का जोरदार तरीके से समर्थन करते हुए साफ कर दिया कि व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार रणनीतिक क्षेत्रों में कुछ सार्वजनिक उपक्रमों को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में सरकारी इकाइयों का निजीकरण करने को प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा कि घाटे वाले उपक्रमों को करदाताओं के पैसे के जरिये चलाने से संसाधन बेकार होते हैं। इन संसाधनों का इस्तेमाल जन कल्याण योजनाओं पर किया जा सकता है।
मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर आयोजित वेबिनार में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की कम इस्तेमाल या बिना इस्तेमाल वाली संपत्तियों का मौद्रिकरण किया जाएगा। इनमें तेल एवं गैस और बिजली क्षेत्र की संपत्तियां हैं। इनके मौद्रिकरण से 2.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश के अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सरकार इन कंपनियों का स्वामित्व रखे और इन्हें चलाए। मोदी ने कहा कि निजी क्षेत्र अपने साथ निवेश, वैश्विक सर्वश्रेष्ठ व्यवहार, बेहतरीन प्रबंधक, प्रबंधन में बदलाव और आधुनिकीकरण लाता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी बिक्री से जो पैसा आएगा उसका इस्तेमाल जन कल्याण योजनाओं मसलन जल और साफ-सफाई, शिक्षा और स्वास्थ्य पर किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार चार रणनीतिक क्षेत्रों परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं रक्षा, परिवहन एवं दूरसंचार; बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को प्रतिबद्ध है।
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(NAYE SAMIKARAN)