आगरा – आज महाशिवरात्रि के अवसर पर एक कार्यक्रम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय कमला नगर ए -1 / 9 शिवरात्रि के पावन पर्व के उपलक्ष में एक आध्यात्मिक कार्यक्रम प्रातः 8:30 बजे से किया गया सर्वप्रथम कार्यक्रम मैं उपस्थित सभी मुख्य अतिथियों का स्वागत तिलक बैच लगाकर सीमा बहन एवं सपना बहन ने किया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर संजय गर्ग शिवरात्रि की शुभकामनाएं दी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए माउंट आबू से पधारे अतिथियों ने शिवरात्रि का महत्व बताया कि शिव शंकर अलग अलग है शंकर परमवीर चढ़ाते हैं ना किसी को शंकर की भी पिता शिव हैं शिव निराकार परमात्मा ज्योति ज्योति बिंदु स्वरूप है हम सभी मनुष्य आत्माओं के पिता हैं वर्तमान समय हम सभी मनुष्य आत्माओं को पतित से पावन कर कर एक नई सतयुग की दुनिया स्थापन कर रहे हैं| सतयुग की स्थापित करने का कार्य शिव पिता परमात्मा कर रहे हैं | इस सभी मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलित किया कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सेवा केंद्र की प्रभारी शीला बहन ने बताया कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही राजयोग है और शिव के साथ रात शब्द इसलिए जुड़ा है क्योकि वो अज्ञान की अँधेरी रात में आते हैं। जब सारा संसार अज्ञान रात्रि में होता है, जब सभी आत्माएं 5 विकारो के प्रभाव से पतित हो जाती हैं, जब पवित्रता , शान्ति , सत्य धर्म व स्वंय की आत्म पहचान भुला दी जाती है। सिर्फ ऐसे समय पर, हमे जगाने, समग्र मानवता के उत्थान व सम्पूर्ण विश्व में फिर से शान्ति का धर्म स्थापित करने परमात्मा आते हैं।
साथ ही महाशिवरात्रि के साथ जुड़े हुए आध्यात्मिक महत्व समझने का ये सबसे अच्छा अवसर है। शिव-लिंग परमात्मा शिव के ज्योति रूप को दर्शाता है। परमात्मा कोई मनुष्य नहीं है और न ही उसके पास कोई शारीरिक आकार है। भगवान शिव एक सूक्ष्म , पवित्र व स्व दीप्तिमान दिव्य ज्योति पुंज हैं। इस ज्योति को एक अंडाकार आकर से दर्शाया गया है। इसीलिए उन्हें ज्योर्ति-लिंग के रूप में दिखाया गया है “ज्योति का प्रतीक” . वो सत्य है, कल्याणकारी और सबसे खूबसूरत है तभी उसे सत्यम-शिवम्-सुंदरम कहा जाता है। वो सत-चित-आनंद सवरूप भी है।
शिव जयंती के 100 वर्ष बाद नए संसार की शुरुआत होती है। परम-पिता परम-आत्मा ही स्वर्ग रचते है। सम्पूर्ण विश्व और मानवता को परिवर्तन होने में 100 साल का समय लगता हैं। यह सबसे महान कार्य है। अगर हम सभी मुख्य पार्टधारी आत्माओं जैसे की इब्राहिम, बुद्ध, क्राइस्ट आदि का पार्ट दिखें तो ये निकल कर आता है की वे सभी परमात्मा के संदेश / पैगाम देने वाले संदेशी/पैगम्बर थे उन सभी ने अपना धरम स्थापित किया और परमात्मा के बारे में अपना-अपना दृष्टिकोण बताया और जीवन जीने की कला सिखाई। बहुत से महापुरषो ने इतिहास को बदला है। कईयों ने शांति के सन्देश से, कईयों ने, अपने ज्ञान और कईयों न जंगो से। परन्तु कुछ हद तक धर्म सत्ता अभी भी है पर दुःख भी है क्योकि संसार पतन की और है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कोई भी इस कितनी भी बड़ी कोशिशे हो पर, संसार का उत्थान कोई कर नही सकता क्योकि यह कार्य कोई मनुष्य का नहीं है। जिसे सारे धर्म और संसार प्रार्थना करता है यह उसका काम है बाकि सभी भगवान की और अलग अलग रास्ते बताते हैं।यह समझना होगा कि हम सभी की मदद के लिए भगवान को प्रार्थना करते हैं।
कार्यक्रम के अंतिम समय में सभी अतिथियों!ने शिव ध्वजारोहण किया कार्यक्रम में उपस्थित बीकेऋषि भाई, देवेंद्र भाई , विनय भाई ,विभोर भाई,,सीमा बहन, सपना बहन, बिग बहन एवं अन्य भाई बहन उपस्थित रहे|
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