देखा जा रहा है कि वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। जिस वजह लोगों की चिंता डबल हो गई है। बढ़ते मामलों को देखते हुए भी लोग अब असमंजस में हैं कि वैक्सीन लगवाएं या नहीं। इस सवाल का जवाब डॉक्टरों ने दिया है।
कोरोना की दूसरी लहर से लोग डरे हुए हैं। इस बार यह चिंता दोगुनी है क्योंकि उन्हें लगता था कि वैक्सीन ही कोरोना से बचाव का एकमात्र उपाय है। ऐसे में जहां देखो कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ एक और चर्चा है, जो वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने के बाद पॉजिटिव होने वाले लोगों को लेकर है। इस मामले में हमने डॉक्टरों से बात की तो उनका कहना है कि सरकार ने सभी को कोरोना से बचने का एक बेहतरीन मौका दिया है, इसलिए अपनी जिम्मेदारी समझते हुए वैक्सीन जरूर लगवाएं।
वैक्सीन लगवाने के दौरान डॉक्टर बार-बार लोगों को वैक्सीन के नियम बता रहे हैं। डॉक्टर की टीम द्वारा टीकाकरण के पहले और बाद में किए जाने वाले उपाय भी समझाए जा रहे हैं, लेकिन लोग इनकी बात न मानते हुए बस अपनी मनमर्जी कर रहे हैं, जिसका खामियाजा उन्हें कोविड शॉट लेने के बाद भुगतना पड़ रहा है। वैक्सीन लगने के बाद भी पॉजिटिव हो जाने की कई वजहें हैं। हालांकि इसके पहले ये समझना जरूरी है कि अगर आपको वैक्सीन लगी है और आप पॉजिटिव हो भी जाते हैं तो वैक्सीन आपको पूरी सुरक्षा प्रदान करती है। एसएन मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि लोगों को यह बात समझनी होगी कि वैक्सीन नाक या मुंह का कोई कवर नहीं है जो वायरस को अंदर जाने नहीं देगी। यह काम मास्क का है, जिसका कई लोग वैक्सीन लगवाने के बाद उपयोग बंद कर देते हैं।
वैक्सीन का काम शरीर के अंदर ब्लड में पहुंचने के बाद शुरू होता है और यह वायरस के शरीर में प्रवेश के बाद प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाकर उससे लड़ने का काम करती है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि 100 फीसद यह आपको अस्पताल नहीं पहुंचने देगी। अगर आप कोरोना पॉजिटिव हो भी जाते हैं तो इसका असर हल्का ही रहेगा और आप होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाएंगे।
एसएन में ही ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की हेड डा. नीतू चौहान ने बताया कि वैक्सीन को लेकर लोग गलत ट्रैक पर न जाएं। सच्चाई ये है कि यह पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करती है। यह आईजीजी और आईजीएम बनाती है जो वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।
खुराक समय पर न मिलना
वैक्सीन के बाद भी व्यक्ति के पॉजिटिव निकलने का एक कारण डोज समय पर न मिलना है। कई लोग फर्स्ट डोज लगवाने के बाद सैकेंड डोज में लापरवाही बरत रहे हैं। या तो वे दूसरी डोज नहीं लगवा रहे या फिर इसमें विलंब कर रहे हैं। ऐसे में जिसने पहली डोज लगवा ली है और सैकंड डोज नहीं ली है, उनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
तो क्या ये री-इंफेक्शन है
वैसे टीकाकरण के बाद भी संक्रमित होने की प्रक्रिया को लोग री-इंफेक्शन मान रहे हैं, लेकिन ये सच नहीं है। यदि टीकाकरण के बाद संक्रमण हो भी जाए, तो डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि टीकाकरण के बाद यह संक्रमण हल्का होगा। बता दें कि टीकाकरण दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए ट्रांसमिशन की संभावना को भी कम करता है।
वैक्सीनेशन का मतलब वायरस का अंत नहीं
आपको ये समझना होगा कि अब तक कोई टीका ऐसा नहीं है, जो वायरस के खिलाफ 100 प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी देता हो। अगर आपको टीका लगाया जाता है, उसके बाद भी आपको सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। ट्रांसमिशन रेट में कमी लाने के लिए वैक्सीनेशन की जरूरत है इसलिए सभी को यह लगवाना चाहिए। इससे व्यक्ति खुद भी सुरक्षित रहेगा और दूसरों को भी सुरक्षित रख सकेगा।
वैक्सीन के बाद पॉजिटिव होने वालों को नहीं करना पड़ा भर्ती
डॉक्टरों ने बताया कि आगरा में अब तक कई ऐसे केस हो चुके हैं, जिसमें लोग वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने के बाद पॉजिटिव हुए हैं, लेकिन इन पर वायरस का प्रभाव हल्का ही रहा है। इनमें कई डॉक्टर भी थे, लेकिन कुछ दिन होम आइसोलेशन में रहने के बाद वे दोबारा से ड्यूटी कर रहे हैं। वैक्सीन लेने वाले किसी भी व्यक्ति को संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आई है।
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